Romantic Shayari for whatsapp - Status Wala

HOT

Home Top Ad

Post Top Ad

Saturday, April 11, 2020

Romantic Shayari for whatsapp

Romantic Shayari for Instagram 😍😍😍



Romantic Shayari for Instagram



री आँखों में हमने क्या देखा कभी क़ातिल कभी
 खुदा देखा तेरे जाने और आने में हमने सदियों का फासला देखा...

कायनात किसने मांगी है मुझे
 तो बस तेरी ख्वाइश है...

यारों कुछ तो हाल सुनावो उनकी कयामत
 बाहों का वो जो सिमटते होंगे उनमें वो तो मर जाते होंगे...

जी रहे है तेरी शर्तो के मुताबिक़ ए जिंदगी, 
दौर आएगा कभी, हमारी फरमाइशो का भी...

खुशबू कैसे ना आये मेरी बातों से यारों, 
मैंने बरसों से एक ही फूल की इंतजार की है...

तू छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ तेरे बिना
 फीका फीका है दिल का जहां...

जरूरी नहीं हर दर्द पर नकाब चढ़ा दूं मैं,
 कुछ जख्मों की नुमाइश से भी होशियारी है मेरी...

अपने खिलाफ बाते बड़ी खामोशी से सुनता हूँ मैं, 
जवाब देने का ज़िम्मा मैंने वक्त को दे रखा है...

किसी का उदास होकर जाना, 
उसके पुनः लौटने का इशारा करता है.
..
कोई खुशियों की चाह में रोया तो कोई दुखों की पनाहो में रोया...
 बड़ा अजीब सिलसिला है इस जिंदगी का कोई भरोसे के लिए रोया 
तो कोई भरोसा करके रोया...

किसे अपना बनाएँ कोई इस काबिल नही मिलता 
यहाँ पत्थर बहुत मिलते हैं लेकिन दिल नहीं मिलता...

यादों में हमेशा वो साथ है,
 जो हक़ीक़त में साथ नहीं...

तुम ही सोचो ज़रा, क्यों ना रोके तुम्हे.. 
जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम...

हर सागर के दो किनारे होते है कुछ लोग जान से भी प्यारे होते
 है ये जरूरी नही हर कोई पास हो ज़िन्दगी में यादो के सहारे होते है...

मिलावट का दौर है साहिब...
 हाँ में हाँ मिला दिया करो...

मुद्दतो बाद उसने पूछा "क्या चल रहा आजकल"
 हमने भी बेफिक्री से बोल दिया "सांसे"...

कोई हुनर है तो..एक दफा आज़मा लीजिये खुद को..
 ये ज़िंदगी है..दुबारा सिर्फ कहानियों में मिलती है...

ज़िन्दग़ी के अंजुमन का बस यही दस्तूर है, बढ़ के
 मिलिये और मिल कर दूर होते जाइये...

सफर-ए-वफ़ा की राह में मंज़िल जफ़ा की थी,, 
काग़ज़ का घर बना के भी ख्वाहिश हवा की थी...

सर उठाकर फक्र से,चलने की हसरत हो अगर..... 
तो सीखिये गर्दन कहाँ,कितनी झुकानी चाहिए...

रहा है ताल्लुक गम से यहाँ तक हमनशीं मुझको, 
खुशी के नाम से भी अश्क आँखों में भर आते हैं...

तुम्हारे नाम की धूप को तरसता है वो सर्द कोना,,
 जहाँ मैंने तुम्हारी यादें छुपा रक्खी हैं...

उफ्फ... ये सुबह की ठंडी हवाए और यादे तेरी
 एक कप चाय और बस तन्हाई मेरी...

होंटो की हंसी को ना समझ हकीकत ए जिन्दगी, 
दिल मे उतर कर देख कितने टूटे हुए है हम...


मेरी ख़मोशी को बयां मिले,
 मेरे दर्द को जो ज़बां मिले...

तुम ही सोचो ज़रा, क्यों ना रोके तुम्हे..
 जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम...

वो लूट जाए जो तुमसे दिल को लगाए,
 फिरें हसरतों का जनाज़ा उठाये...

मुझे रोशनी की थी जुस्तजू , 
मेरा दिन हुआ किसी रात सा...

नींद तो मेरी पहले ही टूट सी गई थी,
 रेज़ा-रेज़ा हुआ अब तो सुकून भी मेरा...

इंसान ज्यादा पढ़ लिखकर सिर्फ़ लोगों को 
बेइज्जत करना सीखता है , 
अनपढ़ ही अच्छे है कम से कम इज्जत तो करता है...

फ़ासला चाँद बना देता है हर पत्थर को, 
रोशनी दूर की तो नज़दीक़ आने से रही ...

मैं तेरी राह से हटने को हट गया लेकिन , 
मुझे अब कोई रास्ता नज़र नहीं आता ...

अजब चराग हूँ दिन रात जलता रहता हूँ,
 मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे ... 

मेरे गुज़रे हुए तेवर अभी भूली नहीं दुनिया, 
अभी बिखरी हुई हैं हर तरफ परछाईंयाँ मेरी ...

मैं उसको भूल गया हूँ ये कौन मानेगा
 किसी चराग के बस मेँ धुआँ नहीं होता ...

दाग-ए-उल्फ़त से छूटती ही नहीं ज़िंदगी 
तुझको भूलती ही नहीं ...

तोड़ कर उसको,इस नज़ाकत से, 
अब तो मत पूछ के "वादा क्या था?"

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad